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मध्यप्रदेश में महिलाओं और किशोरियों के खिलाफ लगातार बढ़

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मध्य प्रदेश देश का एक ऐसा राज्य है जहाँ सबसे पहले राज्य स्तर पर महिला नीति तैयार कर क्रियान्वित की गयी है और जहाँ सरकार द्वारा बालिकाओं के जन्म से लेकर विवाह तक के लिए कई सारी योजनायें चलाई जा रही है इतना कुछ होने के बावजूद महिलाओं और किशोरियों के खिलाफ अपराध का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है|

"बेटमा रेप केस", देवालपुर (लिम्बांदापार गाँव) के मूक बधिर के साथ रेप, मुलताई में दलित छात्र के साथ गैंग रेप, बेतुल में आदिवासी समुदाय की नाबालिग लड़की के साथ रेप और शिकायत करने पर उसकी माँ का क़त्ल, बैरसिया गैंगरेप, राजगढ़ गैंगरेप, छिंदवाडा में नाबालिग लड़की के साथ रेप, शिवपुरी (मानपुरा गाँव) में गैंगरेप आदि जैसी बड़ी घटनाएं मध्यप्रदेश में महिलाओं और किशोरियों के असुरक्षित होने की कहानी बयान करती है|दूसरी तरफ मध्यप्रदेश में महिलाओं और बच्चो के खिलाफ हिंसा से सम्बंधित निम्नलिखित आंकड़े प्रदेश सरकार के दावों और ज़मीनी हकीक़त के फर्क को सामने लेन के लिए काफी है|

मध्यप्रदेश में बलात्कार और छेड़छाड़ के मामले सबसे अधिक सामने आये है| यहाँ सबसे अधिक बलात्कार की 3135 (14.1 प्रतिशत) और छेड़छाड़ की 6646 घटनाएं (16 .4 प्रतिशत) दर्ज की गयी है जो देश में सबसे अधिक है|
> अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अत्याछार के कुल मामले मध्य प्रदेश (23 .5 प्रतिशत) सबसे अधिक है| अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अत्याचार के देशभर के कुल 5885 मामलों में से 1384 अकेले मध्यप्रदेश से है|
> दलित और आदिवासी महिला उत्पीडन की घटनाओं में भी हमारे प्रदेश दूसरे राज्यों से आगे है|
> वर्ष 2011 में भोपाल जिले में 382, इंदौर में 287, ग्वालियर जिले में 327 और जबलपुर में 152 बलात्कार के मामले में दर्ज किये गए है|
> महिलाओं के साथ रेप, लूट, अपहरण, चोरी, हत्या के प्रयास इत्यादि के कुल 54418 (2011) क्राइम हुए है| जिसमे इंदौर में सबसे ज्यादा 18915 तथा दूसरे न पर भोपाल 14287 है। इसके बाद ग्वालियर और जबलपुर है।
> बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में मध्यप्रदेश (18.4 फीसदी)का पहला नंबर है।
> म.प्र. में 2010 में महिलाओं के साथ 16468 काइम हुए हैं। जो कि पूरे देश में 5 वे स्थान में था।
> प्रदेश में 2004 से 2011 तक 35 हजार 395 बच्चियां लापता हुई हैं।



हमारी मांगे


> जिम्मेदार विभाग को संवेदनशील बनना एवं जवाबदेह बनाया जाये।
> महिला के लिये बने कानूनो का कठोरता से क्रियावयंन सुनिष्चित किया जाये ।
> मध्यप्रदेश के महिलाओं के घटते लिंगानुपात को गभीरता से देखते हुये पीसीपीएनडीटी एक्ट के क्रियांवयन मे सुनिष्चित किया जाये एवं उल्लघन करने वालो के खिलाफ सख्त कार्यवाही किया जाये। तथा इसके सफल क्रियावयन हेतु राज्य एवं जिला सलाहकार समिति केा सक्रिय कर जवाबदेही बनाया जाये।
> घरेलु हिंसा से महिला संरक्षण कानून के सही क्रियावयन हेतु पृथक संरक्षण अधिकारी नियुक्त किया जावे। > सभी जिलो में आश्रयगृहो एवं प्रशिक्षित परामर्ष दाता नियक्त किये जावे।
> विशाखा गाइड़ लाइन को गम्भीरता से लागू करते हुए सभी सरकारी एवं गैर सरकारी सस्था एवं सगठनो मे कार्यस्थल पर यौन उत्पीडन निवारण हेतु एक सक्रिय समीति का गठन किया जावे।
> मध्यपदेश मे खासकर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रो से लडकीयां लगातार लापता हो रही है 2004 से 2011 तक प्रदेश में 35 हजार 395 बच्चियां लापता हुई हैं।इसके लिये सरकार ठोस कदम उठाये।
> पितृसत्त एवं महिला विरोधी सोच वाली योजनाये जैसे कन्यादान, लाडली लक्ष्मी , जननी सुरक्षा एवं स्वास्थ्य मातृत्व पर प्रतिबंध लगाया जावे एवं किसी समुदाय विषेश के प्रतिकों के नाम से चलाई जा रही योजनाओं का नाम बदला जाये।
> टोनही प्रथा को समाप्त करने के लिये मध्यप्रदेश स्तर पर कानून बनाया जावे।
> एकल महिलाओ को अलग ईकाइ के रूप मे देखा जावे एवं उनका राशन कार्ड बनाये जाये।
> रोजगार गारंटी कानून में महिलाओ को प्राथमिकता दी जावे उसमें भी खासकर एकल महिलाओ को।
> बाल विवाह कानून पर कठोरता से पालन किया जावे। > रेल्वे स्टेशन बस स्टेण्ड रोजगार कार्यालयो मे पंजीयन बिल के भुगतान आदि कि व्यवस्था मे महिलाओ के लिये अगल पक्ति की अनिवार्यता एव बसो एवं टेनो मे 50 प्रतिशत सीटो का आरक्षण सुनिष्चित किया जाना चाहिये इसका उल्लघन करने वालो पर उचित कार्यवाही की जानी चाहिये।
> राज्य मे महिलाओं के विभिन्न तबको को ध्यान में रखकर सार्वजनिक बहस के माध्यम से महिला नीति बनायी जावे।
> राज्य में महिलाओं की स्थिति पर राज्यस्तरीय प्रतिवेदन जारी करना अनिवार्य किया जावे।
> सभी थानो मे आवयष्क महिला पुलिस कर्मी की नियुक्ति सुनिष्चित किया जावे।
> प्रशासन,व राजनीतिज्ञों को संवेदनशील बनाया जाये।
> स्कूलों में जीवन कौषल को कोर्स में शामिल किया जाये।
> स्कूलों से ही जेंड़र ट्रेनिग दी जाये।
> शारीरिक अपराध के संबंध में महिलाएं पुलिस थाना में जाकर रिपोर्ट लिखवाने में आज भी एक भय सा महसूस करती हैं। महिलाओं के प्रति समुचित और प्रभावी कानून न होने के कारण वह अपने आप को पिछड़ा हुआ महसूस करती हैं। समय की आवश्यकता है कि महिला कानूनों की समीक्षा कर उसमें ऐसे बदलाव किए जाएं जिससे कि महिलाएं अपने ऊपर हो रहे अत्याचार की शिकायत खुलकर कर सकें।
> महिलाओ के लिए बनाई गए हेल्पलाइन नम्बर 1091 सभी टेलीफोन आपरेटरों द्वारा नि :शुल्क उपलब्ध हो।
> बलात्कार पीडि़त महिला का (2 finger) मेडिकल टेस्ट ना किया जाए।
> बलात्कार जैसी संवेदनशील घटना को महिला की इज़्जत के साथ नही जोड़ा जाए साथ ही बलात्कार की खबर करते हुए पत्रकारों को भी भाषा का ध्यान रखते हुए आबरू व इज्जत“ इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग ना किया जाए। छात्राओं की सुरक्षा के लिए प्रदेश के विष्वविधालयों और कालेजों में महिला सेल का गठन किया जाये।

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